Chandrayan 3
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में जानेंगे चंद्रयान-3 कब और कहां लैंड करेंगे
चंद्रयान-3 कैलेंडर मॉड्यूल ने अंतिम दीपू स्टिंग ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है एजेंसी इसरो ने बताया कि चंद्रयान ने ऐलान कक्षा को 75 किलोमीटर 134 किलोमीटर तक कम कर दिया है
इसके अलावा ग्वालियर के लिए 20 अगस्त का दिन ऐतिहासिक होने वाला है क्योंकि मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति की बैठक होने जा रही है
चंद्रयान-3 कहां उतरेंगे
दोनों मिशाननो चंद्रमा के दक्षिणी धूल के पास चंद्र सतह पर उतरेंगे लैंडिंग की जगह चंद्रमा पर बिल्कुल ध्रुवीय क्षेत्र में नहीं है चंद्रयान-3 के लिए निर्धारित स्थल लगभग 68 डिग्री दक्षिण अक्षांश है जबकि लूना 25 का स्थान 70 डिग्री दक्षिण के करीब है लेकिन यह अभी भी चंद्रमा पर किसी भी अन्य लैंडिंग की तुलना में दक्षिण में बहुत दूर है दुनिया के सभी मिशन अभी तक भूमध्य रेखीय क्षेत्र में ही उतरे हैं इसका मुख्य वजह यह है कि इस क्षेत्र को सबसे अधिक धूप मिलती है chandrayaan-3 और लोना 25 के लैंडिंग स्थलों के बीच चंद्रमा की सतह पर वास्तविक दूरी कई 100 किलोमीटर हो सकती है पिछले दिनों एजेंसी रासकास्माज ने एक बयान में कहा था खिलौना 25 और chandrayaan-3 दोनों मिशन एक दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे
हम किसी देश या स्पेस एजेंसी के साथ प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं दोनों मिशन में लैंडिंग के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की योजना है
Chandrayan 3
चंद्रयान-3 23 अगस्त से पहले नहीं उतर सकता और 24 अगस्त के बाद भी उतरना नहीं चाहिएवहीं दूसरी और लूना 25 के लिए ऐसा कोई मुद्दा नहीं है यह भी सौर ऊर्जा से संचालित है लेकिन इसमें रात के समय उपकरणों को गर्मी और बिजली प्रदान करने के लिए एक जनरेटर भी लगाया गया है इसका जीवन एक वर्ष है और इसकी लैंडिंग चंद्रमा पर उपलब्ध शुरू की रोशनी पर निर्भर नहीं करती
लूना 251 शक्तिशाली रॉकेट पर सवार होकर 10 अगस्त को परीक्षण के बाद केवल 6 दिनों में चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया chandrayaan-3 को 14 जुलाई को लांच होने के बाद 23 दिन लग गए हैं दरअसल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए बूस्टर या के शक्तिशाली रोकेट या उनके साथ उड़ते हैं और आप सीधे चांद पर जाना चाहते हैं तो आपको बड़े और शक्तिशाली रॉकेट की जरूरत होगी इसमें ईंधन अधिक आवश्यकता होती है जिसका सीधा असर प्रोजेक्ट के बजट पर पड़ता है यानी अगर हम चंद्रमा की दूरी सीधे पृथ्वी से तय करेंगे तो हमें ज्यादा खर्च करना पड़ेगा